कविताअतुकांत कविताअन्यबाल कविता
"मोहब्बत का भी खेल क्या गजब होता है,
किसी को किसी से भी प्यार हो जाता है।।
ना जाति ना धर्म देखता है,
बस प्यार हो जाता है।।
यह दुनिया का कैसा दस्तूर है,
पहले के जमाने में प्यार करने से डरते थे।।
जाति धर्म रिवाज यह सब देखते थे,
फिर कहीं दिल में कुछ भावनाएं जगती थी।।
अब ना जाती ना धर्म ना रिवाज,
किसी को किसी से भी प्यार हो जाता है।।
बहुत कुछ बदल गया इंसानों की दुनिया में,
अब तो सिर्फ वही दिखता है।।
कहते हैं, कि जीवन जीना तो सब सीख लेते हैं,
लेकिन उसको निभाना किसी के बस की बात नहीं होती है।।
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