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बेटियां - pratibha Sharma (Sahitya Arpan)

कवितानज़्मअतुकांत कविता

बेटियां

  • 115
  • 4 Min Read

बेटी तुम……
संस्कार कभी मत खोना।
जीवन के तूफ़ानों में,
अपनों को मत खोना।
मौसम में पतझड़ आते हैं।
जीवन में पतझड़ आए तो,
निराश कभी मत होना।
आशा का दामन थामे,
आगे बढ़ते जाना।
गर लगे निराशा हाथ तो,
उम्मीद कभी मत खोना।
बेटी तुम……
संस्कार कभी मत खोना।

संसार एक समंदर है,
इसे समझ तुम लेना।
जीवन नय्या गोते खाए तो,
गमगीन कभी मत होना।
जीवन एक पहेली है।
अर्थ समझ तुम लेना।
बगैर इसे सुलझाए,
उदासीन कभी मत होना।
बेटी तुम……
संस्कार कभी मत खोना

विश्वास, भरोसा जीवन का,
आधार समझ तुम लेना।
दुनिया लगे फ़रेबी,
अपनों का विश्वास कभी मत खोना।
बेटी तुम……
संस्कार कभी मत खोना।

उज्ज्वल भविष्य के,
नित सपने नए संजोना।
स्वाभिमान की रक्षा करना।
अभिमानी कभी मत होना।
बेटी तुम……
संस्कार कभी मत खोना।

प्रतिभा शर्मा

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