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✍️इंसान को भी जीना सिखा देता है। - Vivek Prajapati (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

✍️इंसान को भी जीना सिखा देता है।

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✍️गम भी जिंदगी को कितना कुछ सिखा देता है,
रोते हुए, इंसान को भी जीना सिखा देता है।।

बिन बोले लफ्ज़ कुछ भी कह जाते हैं,
रहती है, दिल में कसक फिर भी चुप रह कर भी एहसास जगह जाते हैं।।

खामोश निगाहें भी चुपचाप से देखती रहती हैं,
मन के आवाज को यू अनसुना करके चली जाती है।।

बैठे थे, शांत कहीं खामोश पल निगाहों में,
यूं जिंदगी का हर लम्हा,
एक साथ हर लब्ज से गुजर गया।।

नशा था, एक जिंदगी का खूबसूरत पल लेकर आया,
यूं बैठे थे, खामोश होकर फिर एक अंधेरा सा जिंदगी में छाया।।

अब लगता है, कुछ नहीं है, जिंदगी में,
एक रात और एक गहरा रात सा छाया जिंदगी में।।

बस यू बैठे थे, खामोश होकर किसी अंधेरी रातों में,
एक गहरी रात जिंदगी में लेकर आया,
बस जिंदगी में लेकर आया।।

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