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✍️बेहिसाब है,यह खुशियां तेरे एक मुस्कुराहट में।। - Vivek Prajapati (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कवितालयबद्ध कविता

✍️बेहिसाब है,यह खुशियां तेरे एक मुस्कुराहट में।।

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✍️बेहिसाब है,यह खुशियां
तेरे एक मुस्कुराहट में।।

रहती है,यह दूर कहीं,खिलखिलाती है, यह मुस्कान

नन्ही नन्ही हाथों से सब पर जान लुटाती है,
छोटे छोटे कदमों से सबका दिल बहलाती है।।

आंखों की है,यह नूर परी
सब के दिलों में अपनी जगह बनाती है।।

रहती है, यह पास कहीं
यह खुशियां तेरे एक मुस्कुराहट में।।

ओझल ना हो जाए कहीं,
दूर ना हो जाए बसेरा,
नन्हे नन्हे कदमों से है,रहता है,
इसका खुशियों का डेरा।।

नाराज जब हो जाए वो सब मनाने आते हैं,
रूठती है मनवाती है, फिर अपनी मुस्कान से सबको मुस्कान दे जाती है,

रहती है, यह दूर कहीं खिलखिलाती है, यह मुस्कान
अपने नन्हे नन्हे कदमों से सबका दिल बहलाती है।।

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