Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
क्षणिकाएँ - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

क्षणिकाएँ

  • 301
  • 3 Min Read

विषय:--अनपढ़
विधा:---क्षणिकाएँ

पीठ पेट दोनों एक लिए
कुलबुलाते मून्नु को
मालकिन की दुत्कार से
पुचकारते आगे बढ़ी
किसी और दर पर
बर्तन माँजती बरौनी ने
थमा दिया अपना नाश्ता
व गरम चाय का ग्लास

मिसेस शर्मा बोली पति से
पिकनिक के मजे लेते हैं
दो वोटों से क्या फ़र्क होगा
सजी सँवरी महरी आई
मेडम आज मैं छुट्टी पर
मुझे वोट देने जाना है

अनपढ़ माँ निभाती रही
सारे पारिवारिक रिश्ते
बाँधे रखा स्नेह की डोर से
सब ननद देवरों को
पढ़ी लिखी बहु ने आकर
बिखेर दिए तिनके सारे
कुछ ही पलों में

सरला मेहता
इंदौर म प्र
स्वरचित

logo.jpeg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg