कवितालयबद्ध कविताअन्य
शीर्षक - अब शौक नहीं है।
बहुत मजे किए तेरे प्रेम में,
करुणा का छाया पाया।
हर दिन बिछड़ा दूर तलक,
नहीं मै तेरा प्यार पाया।
अभिलाषा नहीं अब जीने की,
तेरे संग तुम्हारे होकर।
अब सहन नहीं है, जलन है,
जो दिल पर चोट लगी है मुस्काकर।
तूने दर्द दिया है, दवा नहीं,
मेरे टूटे दिल के टुकड़े पूर्ण किए नहीं।
विश्वास था तुम पर मेरी होगी,
पर क्या हुआ, दूसरों के हो गई भोगी।
क्यों छोड़ दिया राहों में, फिर बदनाम किया,
लोगों के नजर में गिर गए हम।
जब नहीं था साथ देने का इश्क़ में,
क्यों खुशी दिया और ज्यादा गम।
मैंने इश्क़ किया था तुमसे, सजा भी पाया।
न तुम मेरी हुई, और न मै दूसरों के हो पाया।
बस थोड़ी सी सांसे बाकी है, मुझे जीने की।
फिर तुमसे कैसे कहूं, तेरे साथ रहने की।
लेखक- मनोज कुमार
उत्तर प्रदेश गोंडा जिला।