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स्वाभिमान - रूचिका राय सिवान91 बिहार (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

स्वाभिमान

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जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है स्वाभिमान,
यही बचाता है आदमी को आत्मसम्मान,
स्वाभिमान नही तो जीवन व्यर्थ है इंसान का,
इससे ही मिलता है जग में आदर और सम्मान।
स्वाभिमान मनुष्य को सदा ही विनम्र बनाता है,
सत्य के लिए सदा ही दृढ़ प्रतिज्ञ रहना सिखाता है,
स्वाभिमान नही है झूठा दम्भ और अभिमान,
स्वाभिमान ही हमारे अंदर आत्मविश्वास लाता है।
स्वाभिमान के लिए तुम सदा ही अड़ जाओ,
पंथ अपने सही चुनो और आगे बढ़ जाओ,
झूठे लालच और बेईमानी में मत तुम पडो,
स्वाभिमान के लिए कष्ट थोड़े सह जाओ।
स्वाभिमान है सदा सच्चे मानव की पहचान,
इससे नही होता है कभी कोई अंजान,
स्वाभिमान त्याग तुम पशु समान बन जाओ,
स्वाभिमान का पालन करना सीखे चाहे हो नादान।
जीवन के दौर में स्वाभिमानी थोड़ा कष्ट पाता है,
दंभी अभिमानी और जिद्दी अक्सर ही कहलाता है,
बस तुम इतना ध्यान रखो अभिमान न आने पाये,
स्वाभिमानी है बड़े कष्टों के बाद सफलता पाता है।

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