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मेरे पापा - शब्बीर मुनव्वर (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मेरे पापा

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तू के साया हो जैसे कड़ी धुप में ....
ज़िन्दगी में समाया कई रूप में...

तू मेरा आसमां तू जमीं है मेरी ..
नर्म एहसास की सी नमी है मेरी ...

मुझमे तेरा समाया हुआ रंग है .....
तू दुआ बनके मेरे सदा संग है ...

तू नदी सा यूँ बेहता हुआ जल तरंग ....
मेरे सब सूर तुझी में, तुझी से उमंग ....

तुझसे दिल का सुकूँ है मेरे चार-सू ..
तू ही पूरी करे सब मेरी आरज़ू.

तू फलक से उतारा गया एक मलक...
है नुमाया है खुल्द की तुझमे झलक ....

मेरी किस्मत के तुझसा पिदर मिल गया.....
इस जमीं पे ही जन्नत सा घर मिल गया ....

तू सदा बनके साया "मुनव्वर: रहे ..
तुझसे मेरा चमकता मुकद्दर रहे ...

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