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राजू - Punam Bhatnagar (Sahitya Arpan)

कहानीअन्य

राजू

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अम्मा- राजू उठो देखो सूरज सर पर आ गया है, तुम सो
           रहे हो उठो बेचारी बकरी कब से तुम्हारा इंतजार
            कर रही है, तुम उठो और उन को चराने ले जा
राजू-    नही अम्मा आज मुझे नही जाना है, आज में
            गली के बच्चो के साथ खेलना चाहता हूँ, सब
           बच्चे खेलते है, पर में तो कभी नही खेलता बस
           रात दिन इन बाकियों को चराता रहता हूँ,
अम्मा- चल जल्दी से नहा ले में मुझे तेरी बाते नई सुनाई
          देती या बेटा जान बूझकर नई सुनती, राजू आज
         मेने तेरे लिए रोटी के साथ गुड बाधा है,
राजू- सही में अम्मा आज तुम ने लालमिर्च की चटनी नई
        रखी ,

अम्मा- नई आज मेरा राजा बेटा गुस्से मैं है ,तो उस के
          कुछ तो अच्छा देना है, तो यही था,
राजू- सब भूल कर कर बकरीयों के साथ खेत में चला
         रोटी और गुड खाकर सारा दिन उन के साथ ही
        खेलता रहा,

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दादी की परी
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