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कविताअतुकांत कविताहाइकु
चलो खेल खत्म हुआ हाँ जी खेल दोस्ती का इश्क का उम्मीदों का बहानों का ज़िन्दगी का ..... अबकुछ शेष नही जो कुछ शेष है वह स्मृतियां मात्र है जिसमे कोई आज भी टूट रहा है घुट रहा है ..!!