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एक खत यादों के नाम - सु मन (Sahitya Arpan)

लेखअन्य

एक खत यादों के नाम

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मेरी प्रिय तुम



आज तुम्हारी बहुत याद आ रही थी सोचा कि तुम से एक बार मिल आऊ पर फिर ख्या़ल आया कि... तुम मुझसे मिलना क्यों चाहोगी..?? तुम ही तो मुझे छोड़कर गई थी ना।

खैऱ जाने दो.. बीती बातों का क्या शोक मनाना।
मिल तो नहीं सकता पर हमेशा कि तरहा तुम्हारी याद में खत तो लिख ही सकता हूँ ना। जो कभी पोस्ट नहीं करुगा ये सिर्फ और सिर्फ मैं जानता हूँ।


जब पहली बार तुमसे मिला था ना तो कई रातों तक ठीक से सो भी नहीं पाया था। बस उलझा था कही तुम्हारें ही ख्या़ल में... कोई जादू सा कर दिया था तुमने मुझ पर। यकीन मानों तुम थी भी कोई जादूगरनी जो मुझसे ही मुझे को चुरा कर ले गई थी। पहली नजर का पहला प्यार हो गया था तुमसे।

एक दोस्त ने कहा कि, " ये प्यार नहीं सिर्फ एक आकर्षण हैं। क्योंकि पहली नजर का प्यार सिर्फ कहानियों में होता हैं। "

मैं उनको कैसे समझाता कि, " प्यार तो प्यार होता हैं। खामोशी वाले प्यार में स्लो मोशन में कोई दुपट्टा उड़कर प्रेमी के चेहरे पर आ गिरे या फिर प्रेमिका आ गिरें कही से उसकी गोद में, ऐसा कुछ नहीं होता हैं।

खामोशी वाला प्यार किसी बावड़ी जैसा होता हैं गहरा और उसका अंतिम छोर कहा होगा... यह किसी को नहीं पता होता। प्यार ऐसा ही होता हैं जिसका कोई अंत नहीं होता।


एक लम्बे इंतजार के बाद हम पहली बार मिले थे।
तुम्हें याद तो होगी ही जब हम अपनी मुलाकात हुई थी तब मेरा क्या हाल था। न जाने कितने संदेशे भिजवाऐ थे तुम्हें पर.... तुम्हारा कोई जवाब नहीं आया था।

मेरा दिल यह बात जानता था कि जवाब भले ही ना आए पर... तुम मुझसे मिलने जरुर आओगी... और देखो तुम आई भी थी मुझसे मिलने। वक्त और जगह तुमने तय की थी कि हम कहाँ मिलेंगे।

मैं आज भी उस जगह जाता हूँ ...वहाँ भी फिजाओं में अब भी हमारी पहली मुलाकात की महक मिली हुई हैं। मुझे आज भी उस जगह पर बैठकर सुकुन मिलता हैं जहाँ हम कभी साथ बैठा करते थे... घंटों बातें किया करते थे और न जाने कितने ही वादे किए थे।

कुछ वादें तो मैं आज भी निभाता हूँ खुद से ... माना कि हम साथ नहीं हैं ... इतने साल हो गए बात भी नहीं हुई पर फिर भी.... कभी प्यार तो था ना हमारे बीच।

और वो महोब्बत ही क्या जो किसी के जाने पर खत्म हो जाए.. .. यह तो एक एहसास हैं जो सदियों तक कायम रहता हैं। किसी को पा लेना प्यार नहीं.. .. प्यार तो वो हैं जो किसी के दूर जाने पर वक्त के साथ और भी बढ़ जाता हैं। तुमसे किया प्यार गहरा होता जा रहा हैं।


कितना विरान सा था मैं... एक तपते रेगिस्तान सा जहाँ अगर कभी बारिश हो तो... उसकी बूंदे भी फनां हो जाए।


मेरे दिल पर तुमने दस्तक दी थी। मेरी ज़िंदगी तुम्हें पाकर आबाद हो गई थी। तुम मेरे दिल की जमीन पर पहली बरसात बनकर आई थी। वो बरसात जो उम्मीद लाती हैं और जिससे मन के सूने आँगन में भी बहार आ जाती हैं।


मैं तुमसे कभी खुलकर कह नहीं पाया पर मेरी ख़ामोश आँखों में शायद तुम पढ़ पाती कि ...मैं कितना प्यार करता हूँ तुमसे।


मैंने हमेशा सिर्फ़ तुमसे प्यार किया। तुमसे जुड़ी हर चीज मुझे प्रिय थी... हैं और हमेशा प्रिय रहेगी।

मुझे तुम्हारी नादानियों से प्यार था। तुम्हारी हंसी से तो बेहिसाब प्यार था। तुम्हारी खनकती सी आवाज आज भी मेरे कानों में गुंजती हैं।

तुम्हारी एक हल्की भूरी आँखें जिन्हें देखकर कोई भी पागल हो सकता हैं.. इन आंखो को देखकर ही मैंने ख़्वाब देखना सीखा था।

तुम्हें रेत के घर बनाना बहुत पसंद था और तुम हमेशा कहती थी कि, " अपना घर भी ऐसा ही होगा छोटा सा।" तुम्हें बड़े घर अच्छे नहीं लगे कभी। क्योंकि सुकुं तो छोटी छोटी खुशियाँ ही लाती है यह तुमने ही मुझे सिखाया था।


तुम्हारी कान की बाली लेकर पायल तक मेरी पसंद की होती थी... नहीं पता अब तुम किसकी पसंद को अपनाई होगी।

मैं हर साल तुम्हारें जन्मदिन पर तुम्हारें लिए कान की बालियाँ और पायल लाता था.... आज भी लाता हूँ जो अभी भी मेरी अलमारी में रखी हुई हैं ...

मैंने तुमसे जुड़ी हर याद को संभाल कर रखा हैं। वो झुमका जिसके टूटने पर तुम बहुत रोई थी और फिर झुमके पहनना ही बंद कर दिए थे... वो आज भी मेरे पास हैं। तुम्हारा लिखा हुआ पहला खत और.... तुमने जो सफेद गुलाब दिया था मुझे वह आज भी मेरी डायरी के पन्नों के बीच रखा हमारी महोब्बत की खुश्बू समेटे हैं।

और तुम्हारी लिखी वह गजलें मेरे पास लिखी हुई हैं। जब भी मन करता हैं मैं वह पढ़ लेता हूँ। मुझे इनके अक्षरों में आज भी तुम्हारी आवाज सुनाई देती हैं।


तुम्हारे जाने के बाद मैंने कुछ नहीं बदला या कहूँ कि बदलना चाहा ही नहीं। तुम्हारे हर फैसले का सम्मान किया मैंने और बिछुड़ना क्यों जरुरी था...?
यह पुछना भी गलत लगा मुझे। बस तुम्हारें साथ बिताए लम्हों की यादें हैं मेरे पास।


किसी बिछुडे़ शख़्स की यादें हमारे मन के उन तहखानों में होती हैं जहाँ सिर्फ़ अंधेरा होता हैं ...उजाले वहाँ पहुंचने से भी कतराते हैं। इन तहखानों की गलियां इतनी संकरी होती हैं कि..... कभी कभी दम घुटने लगता हैं। फिर भी मुझे इन तहखानों में जाना अच्छा लगता हैं क्योंकि ......मुझे यहाँ वह शख़्स मिलता हैं जो कभी सिर्फ और सिर्फ़ मेरा था और हमेशा मेरा रहेगा।

मैं खत लिख तो रहा हूँ मगर मैं नहीं चाहता कि ये खत तुम तक कभी भी पहुंचे। क्योंकि तुम अब तुझसे हमेशा के लिए जुदा हो गई हो तो मैं नहीं चाहता कि... इसे पढ़कर तुम्हारी हल्की भूरी आँखों के किनारों पर कोई आँसू अटक जाए और.... तुम सबसे छुपकर उसे पोंछने की कोशिश करो। और अपने लिए किसी भी फैसले पर तुम्हें पछतावा हो।


और भी बहुत कुछ हैं कहने को पर आज इतना ही।अगर तुम्हारा मन करे तो कभी पलट कर देख लेना उन गुप्त रास्तों से जिनका पता सिर्फ़ हमें था.... जो जाते थे किसी अनदेखी मंजिल पर ....जहाँ प्रेम प्रतीक्षा करता हैं कुछ क्षण और जीने की। और वक्त थम सा जाता हैं जहाँँ...



सु मन


#एकइडियटकेडायरीनोट्स

11/6/2021
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