लेखअन्य
हम खुद को कितना का जी लेते हैं एक ज़िंदगी में। इसका अंदाजा कोई लगा ही नहीं सकता कि वो कितनी दफा़ खुद के लिए जिया हैं। कितना कुछ किया खुद के लिए। यहाँ " खुद" का अर्थ ये कतई नहीं हैं कि हम स्वार्थी हैं।
खुद का अर्थ हैं हम कितनी बार हँसे हैं अपने आप से बात करके। कब ऐसा लगा कि हम कितने बेवकूफ थे सब समझने में। कितनी दफा़ हमने खुद को गले लगाया हैं कभी खुशी से.. कभी गम से तो कभी बस यूँ ही। सुकुन की तलाश हमनें कब अपने आप पर आकर खत्म की।
शायद ये सब बचकानी बातें लगती हैं। ऐसी हरकतें देख के कोई भी पागल करार कर दे। पर मेरे लिए यही तो असली जीना हैं। अपने आप के साथ ,,वो जो मैं सब से छुपाकर रखता हूँ मेरा वह एक अक्श।
अक्सर वह मुझे मिल ही जाता हैं अकेले में।
उसे डर लगता हैं भीड़ के सामने आने से, बात करने से और सच कहूँ तो वह आना ही नहीं चाहता किसी की नजर में। और बेहतर हैं कि वह ना आने पाए सबकी नजरों में।
मेरे ख्याल से सबकी एक अलग ही दुनिया होती हैं इस " खुद के लिए जीना हैं " को लेकर। इस दुनिया से अलग ही होती हैं... और अगर कोई शख्स इसे जीना शुरु करदे तो उसे हम अक्सर हँसी मजाक में कह देते हैं कि," भई दूसरी दुनिया से आए हों क्या..? जो आपको इतना भी पता नहीं हैं।"
मैं जिंदगी के उस रास्तें पर थी जहाँ सबको ये लगता हैं कि आगे कोई रास्ता नहीं है। शायद सफर अब यही तक था। मुझे भी कुछ यूँ ही लगा था खुद से मिलने से पहले।
मन जो हैं वो पुरा खाली हो चुका था, कुछ था ही नहीं उस वक्त। ना बातें, ना ख्याल, ना उदासी और ना ही हंसी। बडी़ मुश्किल से संभाला था खुद को मैंने।
माना कि मैं उस वक्त कमजोर थी पर इतना भी नहीं कि टूट कर बिखर जाऊ। क्योंकि कही ना कही मुझे ये पता था कि अगर बिखर गया तो समेटने कोई ना आएगा।
और बिखरना तो तब बेहतरीन होता हैं जब आप टूट कर गिरे एक ऐसे शख्स की बाहों में जो आपको रोने के लिए अपना मजबूत कंधा दे सके। और आप सारे दर्द बहा दो उसके कंधे पर और बिखरने के बाद भी कही ना कही बचे रहो। और ऐसा शख्स कभी आपकी सबसे बड़ी ताकत तो कभी आपकी सबसे बड़ी कमजोरी भी होता हैं।
अगर मैं खुद से पुछू ना कि मैंने क्या किया हैं खुद के लिए तो मैं बडी़ खुशी से बता सकती हूँ कि मैंने बचाए रखा हैं खुद को ,खुद के लिए। मेरे भीतर का शख़्स जो हैं वह लड़ता हैं मेरे वजूद के लिए जब मैं थक कर हार जाने की बात करती हूँ। वो कहता हैं कि एक कोशिश और करो।
अक्सर जब शाम को कोई तन्हाई आए तो वह बड़े प्यार से मेरे कंधे पर हाथ रखकर कहता हैं कि एक दिन तन्हा क्या गया तुम तो मुस्कुराना ही भूल गई।
चलो अब मुस्कुरा भी दो कि एक नई सुबह आएगी कुछ नया लेकर।
मेरे ख्यालों की दुनिया या यूँ कहूँ कि मेरी असली दुनिया तो वही हैं। जहाँ मुझे ये डर नहीं कि अगर मैं कुछ कह दिया तो ये फलां शख़्स नाराज हो जाएगा। मेरी दर्द बांटने के लिए कोई तो हैं जिससे मुझे ये डर नहीं कि ये मेरे राज सबको बता देगा।
मेरा खुद के लिए जीना मुझे ये भी बताता हैं कि भले ही एक दिन सांसे खत्म हो जाए पर मैं फिर भी कही ना कही जिंदा रहूंगा। क्योंकि मैंने सुना हैं कि खुद के लिए जीने वाले कभी मरते नहीं हैं। वह कही ना कही रह जाते हैं इस कायनात में हमेशा के लिए।
और जब मुझे सुकुन की तलाश होती हैं तो वह मिल ही जाता हैं मुझे मेरी अलमारी में कही रखा हुआ।
वह महज एक अलमारी नहीं हैं मेरे लिए वह खुशियों का खजाना हैं। उसके बंद किवाड़ के पीछे हैं एक ऐसी दुनिया जो सिर्फ और सिर्फ मेरी हैं। मैं निकल जाती हूँ वहाँ खुद के साथ।
जहाँ झरने हैं,,जहाँ की हवाओं में एक अलग ही नशा सा हैं। जहाँ कोई और शख़्स आता ही नहीं।
वहाँ बैठकर मैं घंंटो बातें करती हूँ खुद से। जहाँ सिर्फ सुकुन हैं। जहाँ कोई आता जाता नहीं।
वहाँ कोई बंधन हैं अगर कुछ है तो सिर्फ और सिर्फ़ झरनों का संगीत। जो मन को शांत कर देता हैं। दूर तलक बिखरा हुआ आकाश का साया हैं जिसका कोई अंत नहीं हैं।
जहाँ सूरज डूबे तो यू़ँ नही लगता कि शाम आज उदास हैं। जहाँ डूबते सूरज के साथ न जाने कितने रंग बिखर जाते हैं जैसे कोई चित्रकार कोई चित्र बना रहा हैं। जहाँ मन भागता हैं बेतहाशा,वह रुकना नही जानता उस वक्त।
बस मेरा सफर यही तक होता हैं खुद के साथ। जहाँ से लौटकर मैं कभी आना नही चाहती। जहाँ खुद से इश्क पर कोई पाबंदी नहीं। जहाँ खुदा की जरुरत ही नहीं, खुदई खुदा हो जाना चाहती हूँ खुद के लिए।
जहाँ सांसे बोझ नहीं हैं। हर सांस के साथ एक उमर बीत जाती हैं और पता भी नहीं लगता। नजरों के सामने कोई आए ना आए पर खुद की तलाश ख़त्म हो जाती हैं।
मैं बस इस तरह से ही जीना चाहती हूँ एक जिंदगी में हर ख्वाहिशें पुरी करके खुद के लिए,, खुद के साथ... कि कोई मलाल ना रहे जाते वक्त कि इश्क़ खुद से कर लेते तो बेहतर था।
गैरों से किया तो बस ठोकरें मिली।
सु मन
#एकइडियटकेडायरीनोट्स
6/6/2021
936p