कविताअतुकांत कविता
आज पर्यावरण दिवस है |
आज सब को निश्चय करना चाहिए कि अपने जीवन में कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगाएंगे | तभी हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रख पायेंगे | मुझे बहुत दुःख होता है जब मेरी कालोनी के कुछ लोग नया वृक्ष लगाना तो दूर , पुराने वृक्षों की डालों को भी बढ़ जाने पर काट देते हैं | कुछ ने अपना मकान बनाने के लिए पेड़ काट डाले तो कुछ ने अपनी गाडी के लिए जगह बनाने के लिए | हे भगवान ! इन लोगों को सद्बुद्धि देना |
जो पेड़ कभी मैंने लगाया था....
जो पेड़ कभी मैंने लगाया था , जिसे सींच सींच कर मैंने जियाया था |
वो पेड़ जब मुझसे बड़ा हो गया तो मेरा सर कितना गर्वाया था |
एक दिन आया एक निर्मोही पड़ोसी , जिसे पेड़ पर तरस नही आया |
हरे भरे पेड़ को काटा ,क्योंकि उनके घर पर थी उसकी छाया |
कितना दर्द सहा उस पेड़ ने, कितना उसने चीखा |
पर स्वारथ बस उस बन्दे ने किया पेड़ को सूखा |
पेड़ों में है जान, नहीं मूरख की समझ में आया |
हरे भरे प्यारे से पेड़ को, जिसने है कटवाया |