कविताअतुकांत कविता
आज प्रेम दिवस है
प्रेमी प्रेमिका का परस्पर लगाव
इसे प्यार कहते हैं
निःशब्द रहते हुए भी
किसी की भावना को समझ लेना
क्या यह प्यार नहीं है ?
अपने पराए के भेद से परे
हर रिश्ते को सम्मान देना
क्या यह प्यार नहीं है ?
किसी वृद्ध बेसहारा को
घर में पनाह दे देना
क्या यह प्यार नहीं है ?
किसी भूखे प्यासे को
भोजन पानी से तृप्त कर देना
क्या यह प्यार नहीं है ?
निरीह मूक पशुओं की
सेवा सुश्रुषा कर देना
क्या यह प्यार नहीं है ?
सूखते हुए नन्हे पौधों को
सींच कर लहलहा देना
क्या यह प्यार नहीं है ?
प्यार तो बस प्यार ही है
जहाँ भी ढूंढो,,,,मिल जाएगा