Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
वृक्ष - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

वृक्ष

  • 318
  • 6 Min Read

विषय:--वृक्ष

*सच्चे रक्षक ये वृक्ष*

हमारे जीवन रक्षक ये
दायक प्राणवायु के
याद है बच्चे की कहानी?
बचपन बीता छाँव में
डाल डाल पर फुदकते
कच्चे पक्के फल खाते
झूलों पर विहसते
बकरी हेतु पत्तियाँ पाते
अदद घर रहने के लिए
फ़िर अंतिम क्रिया में भी
लकड़ियाँ ही काम आई
हे मानव, तू समझ कुछ
जन्म से लेकर मृत्यु तक
सदा साथ देता वृक्ष तुझे
क्यूँ नहीं आंक पाया तू
जीवन में मूल्य उसका
शिव की तरह विष पीकर
पालक बनता सृष्टि का
अमृत बूंदे है बुलाता
जीव मात्र को लहलहाता
धानी चूनर से धरा का
साज श्रृंगार करता है
भूतल-कटाव को रोकता
पंछियों को नीड़ देता
फ़ल फ़ूल पत्ती काष्ठ
गोंद रबर व औषधियों
के भंडार से भरपूर ये
बस देता, लेता कुछ नहीं
पत्थर भी मारो तो
झोली भर देता हमारी
आम जामुन बेर अमरूद
कई कई मीठे फ़लों से
पूर्वज करते रहे पूजा
आज भी बाँधते हम इन्हें
शगुन की लाल मौली से
मात्र बंधन पर्याप्त नहीं
शपथ लें इनकी रक्षा की
नव पौधों के सृजन की
जंगल की सुरक्षा की
प्रदूषण के बहिष्कार की
सुने पुकार पर्यावरण की
संकल्प लें, संरक्षित करें
प्रकृति के अमोल उपहार
वृक्ष नहीं तो हम भी नहीं
सरला मेहता
इंदौर
स्वरचित

logo.jpeg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg