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काश - Punam Bhatnagar (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

काश

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काश 

काश की रोक  लेती वो पल, जब दिल ने 

पहली बार तुम्हे देखा था ,रुक सी 

गई थी जिंदगी जब पहली बार तुम्हे देखा था, काश में तुम्हे रोक पाती 

जब पहली बार तुम्हे देखा था, काश की में समझ पाती ,की पहली 

बार ही तुम्हे रोक पाती तो, शयद ये काश -काश ना होता काश 

 

                                                                                          पुनम

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