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टूटे वादे - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

टूटे वादे

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*टूटे वादे*

*खूब सुना है हमने,,,
प्राण जाए पर वचन ना जाए
हाँ, गुनगुनाया भी है,,,
जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा
*भारत है,वादों कसमों शपथों का देश
गीता पर हाथ रख दुहाई देने वाला
फ़िर आख़री साँस तक निभाने वाला
* हमारे साथ वादा खिलाफ़ी होती रही
सरहदों की हदें भी बदलती रही है
पीठ पीछे से वार पे वार होते रहे हैं
*ज़िन्दगी भी वादों की एक कहानी है
सुलह के नाम षड्यंत्र रचे जाते हैं
वादों के बहाने स्वार्थ लोभ जीत जाते
*चुनावी वादे किए जाते टूटने के लिए
काम निकल जाने पे कागज़ी रह जाते
पाँच वर्ष बाद ही फ़िर याद आते
*नई पीढ़ी के वादे बस आभासी होते
डिलीट करने में भी आसान होते
तू नहीं और सही,कभी मिले थे क्या?
ये तो हर दिन ही बदलते रहते
*जैसे सपनें देखते,वादे भी करते रहो
प्रकृति पर्यावरण बचाने का
देश की आज़ादी महफ़ूज रखने के
*टूटे वादे बड़ा ही दुःख देते हैं
अरे जीना तक हराम कर देते हैं
क्यूँ न ख़ुद से ही करूँ वादा
टुटूंगी नहीं चाहे कोई भुलादे वादे
*एक नसीहत दे जाते हैं टूटे वादे
दादी कहती, कोई कुए में गिरे तो गिरे
हम क्यूँ तबाह करें अपने हसीन पल
अँधेरी रात साथ लाती उषा की लाली
सरला मेहता

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