कविताअतुकांत कविता
*जय श्रीराम*
*सूर्यवंशी राजा दशरथ के
आज्ञाकारी सुत श्रीराम
*माता व विमाता में भेद ना जाने
पितातुल्य परम स्नेही अग्रज थे राम
*अहिल्या तारी,कैकई माना महतारी
नारी को सम्मानित करते थे राम
*न्यायशील प्रजापालक हर दिल अज़ीज़ थे
युगपुरुष समसामायिक विश्व प्रसिद्ध राम
*धैर्यवान चरित्रवान मर्यादापुरुषोत्तम
सन्त हितकारी, दुष्टों के संहारी थे राम
*रामराज्य के संस्थापक थे
संयम साहस के संगम थे श्रीराम
*घर घर में यदि एक राम हो
मिटे महाभारत का नाम
अवतारो राम, अब तारो राम
लाओ वह शिव धनुष सँहारो कोरोना राक्षस को
या अपने हनुमान से मंगाओ संजीवनी
निज़ात दिलाओ अब इस वायरस से
सरला मेहता