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सबसे पीछे - Punam Bhatnagar (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

सबसे पीछे

  • 115
  • 3 Min Read

क्यों मैं सब से पीछे रह गई हूँ
ना जाने किस के इंतजार में रुक
गई मैं, आज जब पीछे देखती हूँ
तो ना पहले कोई था, ना अब कोई
है, बस तुम ही हमेशा मेरे साथ थी
मेरी परछाई तुम हमेशा मेरे साथ थी
कल भी आज भी,
आज सब कुछ तो है, पर आज तो भी
क्यो मैं सब से पीछे रह गई हूँ
ना जाने किस के इंतजार में रह गई हूँ
बहुत अकेली होती अगर मेरी परछाई
तुम ना होती,
क्यो मैं सब से पीछे रह गई हूँ
ना जाने किस के इंतजार में रुक गई मैं,

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