कविताअन्य
क्यों मैं सब से पीछे रह गई हूँ
ना जाने किस के इंतजार में रुक
गई मैं, आज जब पीछे देखती हूँ
तो ना पहले कोई था, ना अब कोई
है, बस तुम ही हमेशा मेरे साथ थी
मेरी परछाई तुम हमेशा मेरे साथ थी
कल भी आज भी,
आज सब कुछ तो है, पर आज तो भी
क्यो मैं सब से पीछे रह गई हूँ
ना जाने किस के इंतजार में रह गई हूँ
बहुत अकेली होती अगर मेरी परछाई
तुम ना होती,
क्यो मैं सब से पीछे रह गई हूँ
ना जाने किस के इंतजार में रुक गई मैं,