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चल उठ चल अब - Vijay Singh Yadav (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

चल उठ चल अब

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ऐ शख्स चल उठ चल अब! अपने अख्श को यू आंसूओं से तबाह ना कर, क्या हुआ जो तेरे अपने ही तेरी आँखों में आंसू लाने के किरदार बने, अब तो तू कुछ ऐसा कर कि तेरे आंसू ही तेरा हथियार बने, तू जिधर से भी गुजरे तेरे हुनर का ही बस बाजार बने...!!

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