कविताअन्य
इश्क़ का धागा जब तुझ संग जुड़े,
मेरा जहाँ मुझे मुस्कुराता मिले ,
वसंत ऋतु में जैसे होली खेले राधा-कृष्ण,
वैसे ही तुम संग खेलु मैं ,
इश्क़ का इज़हार करें न कोई,
फिर भी इश्क़ छुप पाए न हमारे,
दुनिया को लगे ये मेल है अनोखा,
इस जग में दूजा हम सा कोई दिखे ना,
तू मिल जाए तो मेरे हसीन ख्वाबों को,
नई मंज़िल मिल जाए,
फिर मेरी ज़िन्दगी पूरी हो जाए ,
जब वसंत ऋतु में तू और मैं मिलकर हम बन जाए ।।