Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
आऊँ भरूँ तुझे अंक में - Dipti Sharma (Sahitya Arpan)

कवितागीत

आऊँ भरूँ तुझे अंक में

  • 170
  • 5 Min Read

वात्सल्य रस ,

भरकर तुझको अंक में, हो गयी मैं निहाल।
वारी जाऊँ लाल पर , चूमूँ तेरा भाल।।

सीने से तुझको लगा, करूँ खूब ही प्यार।
मन्नत से पाया तुझे, मेरे राजदुलार।
जब से आया कोख से, जगे सभी अहसास।
हर पल ही जीने लगी, तुझे समझकर पास।
पूर्ण तूने किया मुझे, मेरे प्यारे लाल।
भरकर तुझको अंक में, हो गयी मैं निहाल।।

मुस्कान बड़ी मोहिनी, ठुमक-ठुमक सी चाल।
तीखे - तीखे नैन है, घुंघराले से बाल।
करता फिरे शरारतें, सजा अधर मुस्कान।
बोली तेरी तोतली, फूंके मुझमें प्राण।
स्नेह सिक्त होकर सदा, चूमूँ तेरे गाल।
भरकर तुझको अंक में, हो गयी मैं निहाल।।

बात-बात पर रूठना, करता भाव विभोर।
देख कर रूप सांवला , नाचे मन का मोर।
कृष्णा जैसी हरकतें, सुनायें मधुर तान।
माखन की चोरी करे, छोड़े नहीं निशान।
मोर पंख सर पर सजे, ललाट बड़े कमाल।
भरकर तुझको अंक में, हो गयी मैं निहाल।
वारी जाऊँ लाल पर, चूमूँ तेरा भाल।

दीप्ति शर्मा" दीप"
जटनी( उड़ीसा)
स्वरचित व मौलिक

inbound1422814756426594685_1617983516.jpg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg