कवितागीत
बेला मिलन की
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बड़ी मुश्किल से आई है मिलन की बेला अलबेली।
खुशी तन मन की लाई है मिलन की बेला अलबेली
मिलन की बेला अलबेली।
कभी सोचा नही था दिल ये मेरा फिर से धड़केगा,
किसी की चाह में इक दिन होके बेताब तड़पेगा,
मदहोशी तन को भाई है मिलन की बेला अलबेली
मिलन की बेला अलबेली
तेरी चंचल अदाओं ने मेरे दिल को चुराया था,
तेरी यादों ने भी रातों में मुझको खूब जगाया था,
जिंदगी मुस्कुराई है मिलन बेला अलबेली
मिलन की बेला अलबेली।
तेरे रुख़सारों की लाली आँखें हैं नील समंदर,
ज़ुबाँ शीरीं घनी पलकों में छिपा जैसे बवंडर,
ज़ुल्फ़ें जैसे घटा छाई है मिलन की बेला अलबेली,
मिलन की बेला अलबेली।
सभी मौसम सभी उत्सव होंगे साँझे सभी मेले,
सभी दुख सुख हैं हमारे नही हमदोनो अकेले,
फ़िज़ां में बिखरी रानायी मिलन की बेला अलबेली
मिलन की बेला अलबेली।
चलो कर लें ये वादा आज इक़ दूजे से हम दोनों,
जियें तो साथ मरें साथ रहें सातों जन्म दोनों,
लो जी हमने कसम खायी है मिलन की बेला अलबेली
मिलन की बेला अलबेली।
शशि रंजना शर्मा 'गीत'