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होली मन से कभी बेमन से - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

होली मन से कभी बेमन से

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रंगीले रंग

होली खेलन पधारो
आई रंगों की बहार
थें तो आओ सरदार
चली प्यार की बयार
टेसू महके गुलनार
उड़े लाल लाल गुलाल
होली,,,,,
कंचन भरो पिचकारी
फूल पंखुड़ियां लाओ
मोरी धानी चूनर
बड़ी है अनमोल
भले रंग तू डाल
पर लूँगी मैं मोल
होली,,,,,
चले बासंती बयार
लाई प्रेम की बहार
यूँ उड़ाओ ना गुलाल
मैं हूँ नाज़ुक सी नार
देवर करे तकरार
जतन करो सरदार
होली,,,,,
सासू माँ का दुलार
गुजिया पपड़ी भरमार
नन्दल रूठी अबोली
नेग मांगे हज़ार
छोड़ो अब कंजूसी
खोलो बटुआ सरकार
होली,,,,,
रंग काला मत डालो
रंग नीला मत डालो
केसर कस्तूरी घोलो
गुलाब जल में
मेरा रंग है गुलाबी
रंगों की नहीं दरकार
होली,,,
सैयां है नहीं पास
मेरा दिल है उदास
गए बादलों के पार
याद आए बार बार
कैसे मन से मनाऊँ
ये रंगों का त्यौहार
होली,,,
सरला मेहता

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