कवितालयबद्ध कविता
होली आई होली आईकविता : आई होली
आई होली होली आई, मतवालों की टोली आई।
गली-मुहल्ले उड़े गुलाल, पीले हरे गुलाबी गाल।
बच्चे चला रहे पिचकारी, गुब्बारों की मारा मारी।
फागुनी मस्ती के फब्बारें , झूम रहे हैं हुरियारे।
मीठी गुझिया पापड़ खाते, नाचे गायें ढोल बजाते।
रंग गुलाल अबीर लगाते, एक दूजे को गले लगाते।
रंग रंगीले सब चौबारे, गूँजे होली के जयकारे।
चुन्नू - मुन्नू की ठंडाई, दादा जी के मन को भाई।
आई होली होली आई, ढेरों खुशियाँ संग में लाई।।
नरेन्द्र सिंह नीहार
नई दिल्ली : कविता