Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
छलिया - Arvina Gahlot (Sahitya Arpan)

कवितागीत

छलिया

  • 235
  • 3 Min Read

ओ छलिया ओ छलिया

प्रतीत डोर तोड़ गई तुम
मुझको हाय छल गई तुम
दुनियां की भीड़ में खो गई तुम
तुम मुझे याद बहुत आओगी

ओ छलिया ओ छलिया
बन के प्रियतमा लुभाया मुझे
रोज रोज बातों में उलझाया मुझे
बंदा मैं था सीधा सादा
प्रेम रोग मुझको लगाया ही क्यों

ओ छलिया ओ छलिया

फूल गुलाब भेंट किया मैंने
निर्दयी तुमने कांटों को मेरे लिए छोड़ दिया
नये सफर पर चल पड़ी तुम
हाय मुड़ कर एक बार ना देखा मुझे

ओ छलिया ओ छलिया
मेरी जिंदगी में अब उड़ती है धूल
तेरी बातें सब चुभती है बनकर शूल
तुम चली गई गुबार रह गया

ओ छलिया ओ छलिया

1598511587089_1616121527.jpg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg