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क्या बताऊँ - सोभित ठाकरे (Sahitya Arpan)

कहानीहास्य व्यंग्यलघुकथाबाल कहानी

क्या बताऊँ

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बाल साहित्य -कहानी

        "क्या बताऊँ"
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यह कहानी बच्चों के लिए हास्य व्यंग्य के लिए लिखी गई हैं । यह पूरी तरह काल्पनिक हैं । कहानी में कुछ पात्र हैं ,जिनसे  आपका परिचय कराते हैं ।
रानी - चिड़िया
मंटू -कौआ
पीपल - वृक्ष
सरयू -नदी
मनोहर -मोर
चंचल -तिल्ली का पौधा
रामू -किसान

एक  दिन सुंदर वन में रानी चिड़िया अपने घोसलें में खीर पका रही थी । दूर से मंटू कौआ उड़ते हुए आया । वह बहुत भूखा था ।उसने देखा रानी कुछ पका रही हैं । उसकी सुगंध से मंटू की भूख और बढ़ गई । उसने झट से उबलती खीर में अपनी चोंच डाल दी । गर्म खीर से मंटू की चोंच जल गई । मंटू काँव-काँव करता हुआ पीपल वृक्ष की डाली पर बैठ गया । जब पीपल ने उसकी ऐसी दशा देखी तो उसने पूछा -

पीपल - क्यों मंटू ,क्या हो गया तुम्हारी चोंच को ?
मंटू - क्या बताऊँ , रानी चिड़िया ने पकाई खीर ,उससे जली मंटू कौवे की चोंच। जाओ पीपल वृक्ष तुम्हारे सारे पत्ते झड़ जाए ।

( मंटू के इतना कहते ही पीपल के सारे पत्ते झड़ गए । सूर्या गाय पीपल के नीचे आती हैं।)

सूर्या गाय - क्यों पीपल भैया , कल तक तो तुम्हारी शाखाओं पर पत्ते लहरा रहे थे । आज सारे पत्ते कैसे झड़ गए ?अब मैं किसकी छांव में बैठू ?

पीपल वृक्ष - क्या बताऊँ , रानी चिड़िया ने पकाई खीर , उससे जली मंटू कौवे की चोंच । चोंच के कारण झड़ गए पीपल के पत्ते । जाओ सूर्या ,तुम्हारे दोनों सींग टूट जाये ।

(पीपल के इतना कहते ही सूर्या गाय के सींग टूट जाते हैं ।सूर्या सरयू नदी के किनारे घास खाने  जाती हैं ।)

सरयू नदी - अरे सूर्या गाय , कल तक तो तुम्हारे सींग अच्छे थे । आज कैसे टूट गए ?

सूर्या गाय - क्या बताऊँ , रानी  चिड़िया ने पकाई खीर , उससे जली मंटू कौवे की चोंच ।चोंच के कारण झड़ गए पीपल के पत्ते । पत्ते के कारण ढल (टूट) गए मेरे सींग । जाओ सरयू ,तुम सुख जाओ ।

(सूर्या के इतने कहते ही सरयू का पानी सूख जाता हैं । सरयू नदी पर मनोहर मोर पानी पीने आता हैं ।)

मनोहर मोर - अरे सरयू नदी , कल तक तो तुम जल से पूरी भरी थी ।आज कैसे सुख गई ?
सरयू नदी -क्या बताऊँ , रानी  चिड़िया ने पकाई खीर , उससे जली मंटू कौवे की चोंच ।चोंच के कारण झड़ गए पीपल के पत्ते । पत्ते के कारण ढल (टूट) गए सूर्या गाय के  सींग । सींग के कारण सुख गया मेरे जल । जाओ ,मनोहर तुम गंजे हो जाओ ।

(सरयू नदी के इतना कहते ही मनोहर मोर के सारे पंख टूट कर गिर गए ।मनोहर तिल्ली के खेत मे तिल्ली खाने जाता हैं ।)

चंचल तिल्ली - अरे मनोहर मोर , कल तक तो तेरे पास कितने सारे रंग - बिरंगे  पंख थे ।आज सब कहा गए ।कैसे तुम गंजे हो गए ?

मनोहर मोर - क्या बताऊँ ,  रानी  चिड़िया ने पकाई खीर , उससे जली मंटू कौवे की चोंच ।चोंच के कारण झड़ गए पीपल के पत्ते । पत्ते के कारण ढल (टूट) गए सूर्या गाय के  सींग । सींग के कारण सुख गया सरयू का  जल । जल के कारण हुआ मैं गंजा । जाओ तिल्ली तुम पांगली (मुरझाई सी) हो जाओ ।

(मनोहर मोर के इतना कहते ही चंचल तिल्ली पांगली बीज रहित हो गई । रामू किसान अपने खेत पर आता हैं । तिल्ली से कहता है।)

रामू किसान - अरे चंचल तिल्ली , कल तक तो तू  लहरा रही थीं ।आज ऐसे पांगली  (मुरझाई सी )कैसे हो गई ?
चंचल तिल्ली -क्या बताऊँ ,  रानी  चिड़िया ने पकाई खीर , उससे जली मंटू कौवे की चोंच ।चोंच के कारण झड़ गए पीपल के पत्ते । पत्ते के कारण ढल (टूट) गए सूर्या गाय के  सींग । सींग के कारण सुख गया सरयू का  जल । जल के कारण हुआ मनोहर मोर गंजा ।  गंजे के कारण हुई मैं पांगली (मुरझाई सी)1

पर रामू भैया अब मैं कुछ नहीं कहूंगी ,तुमने कितनी मेहनत करके मुझे जमीन में बोया ,फिर पानी दिया , पक्षियों से मेरी रक्षा की ।  लेकिन मैं तुम्हें क्या दे पाई ।
रामू - तुमने मेरी मेहनत को समझा हैं। आज नही तो कल फिर  तुम  लहरा उठोगी ,तुम में फूल आएंगे ,और फिर बीज आएंगे।

( यह सुन चंचल तिल्ली खुश हो गई ।)

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दादी की परी
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