कविताबाल कवितालयबद्ध कविताबाल कविता
🐦बाल मनुहार🐦
रानी गौरैया के बच्चे चार ,
खेलते- कूदते मेरे घर द्वार ।
जब वो चुगते हैं दानी पानी ,
मैं नहीं पहुँचाती उनको हानि ।
फुदक -फुदक कर डाली -डाली ,
मेरे मन को को देते खुशहाली ।
मन करता उनको पकड़ लूं ! क़ाश
पर जब जाती मैं उनके आसपास ।
चीं-चीं कर अपनी माँ को बुलाते ,
छोटे-छोटे पंख फैला झट उड़ जाते ।