Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
सुनहरी मनु - सोभित ठाकरे (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिकलघुकथाबाल कहानी

सुनहरी मनु

  • 212
  • 63 Min Read

सुनहरी मनु

मनु कक्षा 7 में पढ़ती है । विद्यालय से घर आते ही अपना बैग एक तरफ फेंक कर वह अपनी माँ राधा को ढूंढ रही थी , माँ बरामदे में बैठी हाथों में सुफ़ा लिए अनाज झाड़ रही थी । मनु पीछे से आकर अपने दोनों हाथ अपनी माँ के गले में डालकर लिपट गई ।
" आ गई स्कूल से , रसोई में सिरा रखा है , हाथ मुँह धोकर खा ले ।" राधा ने मनु के चेहरे को देखे बिना कहा ।
" मुझे भूख नहीं है माँ "
"अच्छा , स्कूल से आते हुए कुछ खा लिया था क्या ?"
"नहीं "
" तो फिर भूख क्यों नही है ? "
" माँ , क्रीम लगाकर गोरे होते है ना ।"
"ऐसा क्यों पूछ रही है तू "
" सुनीता कहती है कि उसकी माँ उसे तैयार करते समय गोरे होने की क्रीम लगाती है , इसलिए वह गोरी हो गई है । "
" अच्छा , तो .."
मेरा रंग काला क्यो है माँ , स्कूल में मेरी सभी सहेलियां कितनी गोरी है । नीतू तो कहती है कि -"तू काली कलकत्ता वाली , तेरा दिमाग पूरा खाली ।"
"अरे , तो तुमने टीचर जी से शिकायत क्यों नही की । " माँ ने मनु की ओर देखते हुए कहा ।
"टीचर जी तो सारे काम के लिए नीतू , रागिनी , अमित , सागर ,सलोनी को कहती है " मनु ने उदास होकर कहा ।
"अरे ! मनु , भगवान ने दो ही तो रंग रूप दिए हैं इंसान को , एक कोरा और एक काला । और भगवान जी को तो सभी प्यारे होते हैं ।"
"तू जा हाथ मुँह धोकर हलवा खा लें , नही तो मोनू आकर खा जाएगा तेरे हिस्से का भी ।"
पर मनु को बिल्कुल भी भूख नही थी , मनु को माँ की बात समझ नही आ रही थी , उसके मन में तो अपने सहेलियों की बाते ही चल रही थी ।
उसे वो हर बात याद आ रही थी कि कैसे रश्मि टीचर उन सभी बच्चों को जो पढ़ने में कमजोर होते हैं या अच्छे से तैयार होकर नहीं आते हैं उन्हें पीछे खड़ा करवा देती है ।
ऐसे बच्चों को काली माता , कल्ली , कालुराम , काला कहकर पुकारती है ।
कितनी बार ही तो उसे भी अपने टेबल से दूर खड़े होने को कहा था न टीचर जी ने ।
उसे अपनी नानी की बात भी याद आती है जब वह अपनी माँ के साथ नानी के घर गई थी , तब उसकी नानी अपनी माँ से मनीषा मौसी के बारे में कह रही थी कि " ये लड़की सांवली है , हमारी तो चप्पल घिस गई इसके लिए रिश्ता ढूंढते ढूंढते ।" इसका क्या मतलब होता है ? वह माँ से पूछना चाहती थी ,लेकिन नानी को देखकर चुप हो गई थी ।
वह अपने भाई मोनू और अपने रंग में तुलना करने लगी ।
[10/31, 23:32] सोभित ठाकरे: दादी भी मोनू को ज्यादा लाड़ करती है , उसे राजा बेटा कहती है । कही वो मुझसे गोरा है इसलिए तो नहीं ?
उसके मन में आने वाली हर बात उसे गहरी उदासियों की ओर खींच रही थी ।
छोटी सी बच्ची के मन में आखिर अपने रंग को लेकर इतनी गम्भीर बातें क्यों आ रही थीं ?
इन प्रश्नों में खोई मनु अपने शिक्षकों द्वारा दिये गृह कार्य को भी कर रही पा रही थी ।
उसे लग रहा था कि रंग साँवला या काला होना बहुत बुरी चीज है ।वह सांवली है इसलिए सब उसके बारे में बुरा ही सोचते हैं ।
एक दिन मनु स्कूल जाने को तैयार हो रही थी कि उसकी स्कूल ड्रेस पानी में गिर गई , वह रोने लगी , माँ ने उसे कहा कि वह उसकी टीचर से बात कर लेगी आज रंगीन ड्रेस पहन लो ।
मनु ने अपने मन पसन्द लाल रंग की फ्रॉक पहन ली और माँ से कहा आप मेरे साथ चलो नहीं तो टीचर जी डांटेगी ।
"अच्छा ,अच्छा ठीक है मैं चलती हूं ।"
राधा मनु को स्कूल छोड़ने जा रही थीं कि उसे रास्ते में रूपा मिल गई ।
अरे ! राधा बहन कैसी हो ? आज क्या कहाँ जा रही हो ?
"मैं ठीक हूँ रूपा , गलती से आज मनु की ड्रेस भींग गई तो जरा मनु को स्कूल छोड़ने जा रही हूं ।ये डर रही है कि कही रंगीन ड्रेस पहनकर आने पर टीचर जी डांटे न । "
"अच्छा ,अच्छा मनु तो बहुत बड़ी हो गई , कौन सी कक्षा में पड़ती है ?"
"कक्षा 5 में " - मनु ने माँ का हाथ पकड़ते हुए कहा ।
"तुम्हारी फ्रॉक तो बहुत अच्छी लग रही है ,पर सांवले रंग पर मटमैले रंग के कपड़े अच्छे लगते हैं । राधा तुम इसे ऐसे ही कपड़े पहनाया करो । "
"इतनी भी सांवली नही है "- राधा ने रूपा को जवाब दिया ।
"हाँ वैसे तो नही है लड़कियों का रंग साफ हो तो कोई से भी कपड़े अच्छे लगते है । " रूपा हँसते हुए बोली ।
"चलो मैं इसे छोड़ आती हूं स्कूल देरी हो रही है , तुम आना कभी घर ।" राधा ने कहा ।
"हाँ ठीक है बहन । "
कहकर दोनों अपने -अपने रास्ते चली गई ।
" माँ रूपा चाची को आपने घर आने का क्यों बोला ? मैं उसको अपने घर नहीं आने दूँगी ।" मनु ने गुस्से से कहा ।
अरे , ऐसे ही बोल दिया , तू जल्दी चल मुझे घर आकर काम भी करने है ।" -राधा ने कहा ।राधा ने मनु की टीचर से ड्रेस को लेकर बात कर ली , अब मनु का डर थोड़ा कम हो गया । जब मनु अपनी कक्षा में गई तो सलोनी ने अपनी सहेली नीतू से कान में कहा " अरे देखो काली कलकते वाली ने लाल ड्रेस पहन कर आई हैं । ये देख कर पास के सभी बच्चे मनु को देखकर हँसने लगे ।
मनु को बहुत बुरा लग रहा था , वो जाकर सबसे पीछे की बेंच पर बैठ गई ।

कक्षा में मनु चुप -चुप रहने लगी थी , वह किसी से ज्यादा बात नहीं करती , किसी प्रश्न का उत्तर मालूम होने पर भी जबाव नही देती ।
मनु की नाटक और नृत्य में बड़ी रुचि थी ,लेकिन बालसभाओं और किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए अपना हाथ ऊपर नही उठाती ।
अब वह माँ के साथ किसी के घर , मंदिर , बाजार , जाने के लिए ज़िद नही करती थी। स्कूल जाने में कभी कभी आनाकानी करती , लेकिन बाबा के डर से चली जाती ।
मनु के मन मे एक बात पूरी तरह से बैठ गई थी कि वह बहुत बुरी दिखती है । इसलिए उसे कोई पसन्द नही करता ।
02
नवंबर माह की आज पहली तारीख और 15 तारीख से अर्द्ध वार्षिक मूल्यांकन होना तय था । सभी शिक्षकों ने बच्चों को समूह में अपने आज तक के पाठों का रिवीजन करने का निर्देश दिया ।
नीतू , सागर ,अमित ,सलोनी , सुनिता सभी कक्षा में बाल केबिनेट सदस्य थे , और सलोनी केबिनेट में प्रधानमंत्री।
पढ़ने में तेज , सुंदर व सुमन टीचर की प्रिय छात्रा में से थी । इसलिए सभी बच्चे उससे प्रभावित रहते थे ।
" मनु , गणित के सवाल तो मुझे समझ आ जाते है , पर अंग्रेजी बहुत कठिन लगती है । हम भी सलोनी के समूह में चले क्या पढ़ने ?" - मनु के साथ बैठी अनिता ने कहा ।
" हाँ , ठीक है चलो । " - मनु ने कहा ।
"सलोनी , मुझे अंग्रेजी के प्रश्नोत्तर बता दो , मुझे बिल्कुल भी समझ नही आ रहे हैं ।" अनिता ने मदद की उम्मीद से कहा ।
"मनु से पूछ लो न , हमारे पास क्यों आई हो ? "- हँसते हुए नीतू ने कहा ।
" काली माँ मदद करेगी । " अमित ने दोनों को चिढ़ाते हुए कहा ।
" मेरे पास समय नहीं है , और वैसे भी मैं किसी की मदद न तो लेती हूँ ,न करती हूं । "- सलोनी ने रौब दिखाते हुए कहा ।
" जब तुम किसी की मदद नहीं करते हो ,तो जरूरत पड़ने पर तुम लोगों की मदद भी कोई नही करेगा | सुधा टीचर की बात याद है या नहीं । "- अनिता ने चिढ़ते हुए कहा ।
हाँ ,तो ठीक है न , हमारे पास क्यों आई हो दोनों , जाओ यहाँ से । " - इस बार सागर बोल उठा ।

दोनों चली जाती है ।
"अनिता , तुम मेरी कॉपी ले लो ,मुझे जितना समझ आता है ,तुम्हें बताती जाऊँगी और तुम मुझे गणित बता देना ।"- मनु ने कहा ।
" हाँ , ठीक है ।" - अनिता ने कहा ।
अनिता और मनु अब साथ बैठकर पढ़ाई करती थी ।
जब अर्द्ध वार्षिक परीक्षा हो गई , तो सभी बच्चे परीक्षा परिणाम जानने को उत्सुक थे ।
इस बार भी प्रथम तो सलोनी ही थी , लेकिन अनिता और मनु दोंनो के भी नम्बर बहुत अच्छे आये थे ।
"इस बार सभी बच्चों के पहले से ज्यादा नम्बर आये हैं । मनु ,राधू , अनिता , मनोज , आप ने तो बहुत अच्छा काम किया इस बार । पता है आपको ऐसा कैसे हो पाया है ? " - मैडम ने कक्षा में सभी की उत्तर पुस्तिकाओं को टेबल पर रखते हुए कहा।
"कैसे टीचर जी ।" - बच्चे एक साथ बोले ।
(सलोनी , नीतू को टीचर द्वारा दूसरों बच्चों की प्रशंसा करते देख अच्छा नही लग रहा था । )
" आप सभी ने समूह में पढ़ाई / काम किया था न , इसलिए । चलो एक एक करके सभी बच्चे अपनी -अपनी उत्तर पुस्तिकाओं को देखो , उसके बाद समूह में बैठकर एक -दूसरे की उत्तर पुस्तिकाओं को भी देखे । सलोनी प्रथम आई है , तो उसकी उत्तर पुस्तिका देखो कि वो कैसे उत्तर लिखती हैं ।"

" देखो उस दिन मैंने कहा था न कि तुम्हीं प्रथम आओगी ।" - अमित सलोनी से बोला ।
" हाँ , वो तो ठीक है , पर इन सबके नम्बर भी तो लगभग मेरे जैसे ही आये है न । मुझे उनकी कॉपियां देखना है , मैं अभी आती हूं । " - सलोनी ने अपनी मित्रमंडली से कहा ।
" ठीक है , तुम ही जाओ ।" - नीतू ने कहा।
" मनु , ये मेरी कॉपी तुम देख सकती हो । क्या मैं तुम्हारी कॉपी देख लूं ? " - सलोनी ने मनु के पास जाकर कहा ।

"हाँ , देख लो ।" - मनु हँसते हुए बोली ।

" मनु , तुमने तो सभी प्रश्नों के उत्तर सही -सही लिखे हैं । फिर भी तुम्हारे नम्बर मुझसे कम क्यों आये है ? " -सलोनी ने मनु की कॉपी देखते हुए उत्सुकता से पूछा ।

"हाँ तो लिखे है पर मेरी लिखावट तुम्हारे जैसी नहीं है ना । तुम्हारे अक्षर कितने साफ और सुंदर है । " - मनु ने कहा ।
" मनोज तुम्हारी कॉपी दिखाओ । "
" ये लो सलोनी मेरी कॉपी , मुझे तुम्हारी कॉपी दे दो । " - मनोज ने अपनी कॉपी आगे बढ़ाते हुए कहा ।

" तुमने भी बहुत अच्छे से प्रश्नों के उत्तर लिखे हैं । " - सलोनी ने मनोज की कॉपी को देखने के बाद कहा ।
सलोनी को अब लगने लगा था कि मनु के साथ बाकी बच्चे भी लगभग उसी की तरह पढ़ने में अच्छे हैं । उसने अपनी मित्र मंडली में भी उन बच्चों की कॉपियां दिखाई , जिनको वे सभी चिढ़ाते थे , परेशान करते थे या उनकी मदद नही करते थे ।

03

दिसम्बर का महीना था । स्कूल में दो दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण के लिए जिला स्तर के सबसे अच्छे स्कूलों को चुना गया था । इसके लिए विज्ञान पढ़ाने वाली सुधा मैडम को जिम्मेदारी सौंपी गई थी ।कक्षा के सभी बच्चों को इसमें हिस्सा लेना अनिवार्य था । सुधा मैडम के साथ सभी बच्चे भ्रमण पर निकले ।बच्चे बहुत उत्साहित थे । मनु भी उदास मन के साथ भ्रमण का हिस्सा बनी थी ।

जब मैडम के साथ बच्चे स्कूल में पहुँचे तो उन्होंने देखा कि उनके स्कूल से यहाँ पर ज्यादा सुविधाएं थी । बच्चे एक दूसरों के साथ गतिविधियाँ करते हुए पढ़ाई करते , खेलते । उनकी स्कूल में बहुत बड़ी लायब्रेरी थी , जहाँ बच्चे अपने मनपसंद की किताबें पढ़ते थे और उनकी देखभाल भी करते थे । लायब्रेरी वाली मैडम ने सभी बच्चों को " एक श्यामवर्ण लड़की एक गुब्बारे वाले के पास लाल-नीले, पीले-गुलाबी रंग के गुब्बारे देखकर पूछती है, 'अगर काले रंग का गुब्बारा हो तो भी वह क्या उड़ सकता है?' गुब्बारे वाले ने मुस्कुराकर कहा- 'बेटा गुब्बारा रंग के कारण नहीं उड़ता। वह तो उड़ता है उसके अंदर जो गैस रहती है, कोई भी गुब्बारा हो रंग से कुछ फर्क नहीं पड़ता।' कहानी सुनाई ।
मनु को यह कहानी बहुत अच्छी लगी ।

एक दिन का कार्यक्रम खत्म हो गया था । अगले दिन स्कूल में सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित की गई थी , जिसमें उस स्कूल के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी । अनिता मैडम जो स्कूल की प्रिंसिपल थी सभी बच्चों को बहुत ही प्रोत्साहित कर रही थी । उनके साथ स्टेज पर बैठे सभी शिक्षक अपने बच्चों की खूब प्रशंसा कर रहे थे ।
अनिता मैडम अपने यहाँ आई स्कूल के बच्चों को भी अपनी रुचि अनुसार प्रस्तुति देने के लिए उत्साहित किया ।
बार -बार कहने के बाद भी जब कोई बच्चा खड़ा न हुआ तो सुधा मैडम ने नाम पुकार कर कुछ बच्चों को बुलाया । इसमें मनु का नाम भी था । स्टेज पर बैठे शिक्षक इन बच्चों की प्रस्तुति पर भी बहुत प्रोत्साहित कर रहे थे । जब मनु की बारी आई तो मनु मन ही मन डर रही थी ।
"आपका नाम मनु है ।"
जी .....मैडम । मनु ने धीरे से जबाव दिया ।
" बहुत अच्छा नाम है , पता है रानी लक्ष्मीबाई के बचपन का नाम भी मनु था । "
" मनु आपको क्या करना अच्छा लगता है ?" - अनिता मैडम की बगल वाली कुर्सी पर बैठे सर (शिक्षक) ने पूछा ।
"कविता सुनना और डांस करना ।"

"बहुत अच्छा"
"मुझे चित्र बनाना और कहानियां पढ़ना भी बहुत अच्छा लगता है मैडम जी । " - मनु ने कहा ।
" अरे ! क्या बात है मनु । बहुत अच्छा , आप तो गुणों की खान हो । आज आपको कौन सी कविताएं याद है ? "- दीपा मैडम ने पूछा ।
" जी ....मैडम , ' मेरा आसमान ' , ' लम्बी नदियाँ ', सांवली सी काली तितली , 'हरा तोता '।
" आपको तो बहुत सारी कविताएँ याद है , पर आप हमें " सांवली सी काली तितली" वाली कविता सुनाओ
" मैं हूं एक छोटी सी सांवली तितली ,
पंख लगाकर उड़ जाऊँगी ।
रंग मेरा काला है
सुनहरे सपनों में खो जाऊँगी ।
फूलों का यूं अपने रंग पर इतराना ,
मुझकों अपने से दूर भगाना ।
मैं अभी तो सहन तो कर जाऊँगी ,
जब बड़ी होकर तुम्हारे बागों में आऊँगी ।
देखकर तुमको सूखा -सूखा
पानी की एक-एक बूंद से तुम्हें सींच जाऊँगी ।
तब तुम न कहना मुझे काली तितली ,
कहना मुझे प्यारी तितली । "

कविता सुनकर सभी ने ताली बजाई ।
"अच्छा ये कविता आपने लिखी है ? " अनिल सर ने पूछा।
" हाँ ।"
" बहुत बढ़िया मनु , तुम्हारी आवाज बहुत मीठी है । लेकिन तितली तो रंग -बिरंगी होती है , आपने काली तितली क्यों कहा ?"- अनिता मैडम ने मनु से पूछा ।
"जी......मैडम....वो.....वो ..."
"हाँ ....हाँ ...बोलो ...रुको नही ।"
" वो कविता वाली तितली मैं हूं और मैं काली हूं ।"
मनु का जबाव सुनकर सभी अचंभित हो गए ।
"अरे ! किसने कहा आपसे ?" इस बार दीपा मैडम बोली ।
" सभी कहते हैं ।"
"अरे नही ! बेटा , आप तो बहुत सुंदर हो , काले नहीं हो । " अनिल सर और अनिता मैडम ने कहा ।
अब तक मनु का मन भारी हो गया ।
"कल आपने गुब्बारे वाली कहानी सुनी थी उसमें रंग -बिरंगे गुब्बारे थे , आसमान में जब इंद्रधनुष निकलता है उसमें भी कितने रंग होते हैं न , मनु आप काली तितली नही , बल्कि सुनहरी तितली हो और बहुत सुंदर हो , आपकी आवाज बहुत मीठी है ।
" यह कहते हुए सुधा मैडम ने मनु को गले लगा लिया ।
"सॉरी मनु , मुझे बहुत बुरा लगा कि मैं और बाकी बच्चे तुम्हारे रंग को देखकर तुम्हें हमेशा चिढ़ाते थी । तुम्हारे साथ दूसरे बच्चों की भी कभी मदद नही करती थी और अपने दोस्तों को भी करने नहीं देती थी । " -सलोनी ने कहा।
" सॉरी मनु , मुझे भी तुम्हारे साथ ऐसा गलत व्यवहार नही करना चाहिए था । तुमको कविता लिखना , गीत और कविताएं सुनाना , चित्र बनाना , डांस करना कितने सारे काम आते हैं । तुम में तो मुझसे भी ज्यादा गुण है । " - नीतू ने शर्मिंदा होकर कहा ।
" कोई बात नहीं सलोनी । कोई बात नही नीतू । " - मनु ने कहा ।
" बहुत अच्छा सलोनी , नीतू , आप दोनों को अपनी गलती का अहसास हुआ और मनु को सॉरी कहा । शरीर की सुंदरता से कहीं
अधिक मन की सुंदरता होती है । हर बच्चे ,व्यक्ति , इंसान को उसके रंग , जाति , धर्म से जज नही करना चाहिए । सभी की जहाँ तक हो सके मदद करनी चाहिए । " -सुधा मैडम ने मुस्कुराते हुए कहा ।
रागिनी ,सागर , अमित , सुनीता भी दौड़कर आ गए और मनु से सॉरी बोलने लगे ।
अब मनु की आँखों में अब निराशा की जगह चमक थी । उसे भी ये महसूस हुआ कि अपने रंग नही बल्कि अपने गुणों से पहचान बनती है और सम्मान मिलता है ।
लौटते हुए सभी बच्चे उसके साथ बैठने और बात करने को जिद कर रहे थे । कोई उससे चित्र बनाना सीखाने की मांग कर रहा था , तो कोई कविताएँ कैसे लिखते हैं ? ये जानना चाह रहा था ।

1616269963.jpg
user-image
दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG