कवितागीत
नमन मंच
दिनांक --२०/०३/२०२१
वार-- शनिवार
आयोजन--सा रे गा मा ( अंत का आरंभ )भाग--३
विधा--गीत
विषय-- #जुदाई
जुदा हो गयी अपनी राहें, ओ मेरे दिलदार।
खिजाँ में बदली हर फिजायें, रूठी सभी बहार।।
(लड़का)
न हम बेवफा न तुम बेवफा, फिर क्यों छूटा साथ।
चलते- चलते ही राहों में, छुड़ा लिया जो हाथ।।
ताश के पर्ण सा बिखर गया, ख्वाबों का संसार।
जुदा हो गयी अपनी राहें , ओ मेरे दिलदार।।
(लड़की )
दिल में दर्द आज डूब गया, नीर भरे हैं नैन।
आई रुत तन्हाईयों की, दिल मेरा बैचेन।।
आखिर ऐसी क्या हुई खता , रूठ गया क्यों प्यार।
जुदा हो गयी अपनी राहें, ओ मेरे दिलदार।।
(लड़का)
कागज नहीं है जो फाड़ दूँ, ये मेरा इकरार।
दुनिया तो आज छोड़ दूँ पर, छोड़ूँ कैसे प्यार।
मिलने के पहले बिछड़ गये, दिल में हाहाकार।
जुदा हो गयी अपनी राहें, ओ मेरे दिलदार।।
(लड़की)
बिखरे हैं राहों में काँटें , दिल में है तूफान।
शीश महल से थे सब वादे , हुये आज निष्प्राण।
मिली जुदाई जीवन भर की, दिल मेरा बेजार।
जुदा हो गयी अपनी राहें , ओ मेरे दिलदार।।
खिजाँ में बदली हर फिजायें, रूठी सभी बहार।।
दीप्ति शर्मा "दीप"
जटनी( उड़ीसा)
स्वरचित व मौलिक