कविताअतुकांत कविता
*चाँद छुट्टी पर है*
अमावस की रात है
चाँद आज छुट्टी पर है
मस्ती में तारों पर सुस्ती है छाई
ध्रुव चल पड़े माँ से मिलने भाई
सप्तऋषियों की समाधि गहरी
बनना नहीं उन्हें आज प्रहरी
तारा समूहों की विभिन्न छवियाँ
अवकाशी मौज मनाने चली हैं
पुच्छल तारों की सूनी कहानी
काली अमावस हुई है सुहानी
सूरज परेशां, छुट्टी नहीं है
रविवार भी रवि का नहीं है
चँदा मामा के हैं वारे न्यारे
अमावस पे छुट्टी मनाओ प्यारे
सरला