कविताअन्य
नमस्कार
हर हर महादेव 🙏
"अंतरात्मा की आवाज "
ओह री सखी सुन मेरी बात
सुन सुनले री सखी तू मेरी भी बात
मैं हूँ तेरे अन्तर आत्मा की आवाज़
अब तक मुझको अनसुना करती आई है तू
जैसे सबके लिए वक्त है तेरे पास
कभी तो कुछ पल फुर्सत के खुद के लिए भी निकाल
चल बड़ अब आगे और चुनले अपने सपनों की राह
जीले कुछ पल अपने सपनों को भूल के ये दुनिया दारी
दो पल चुराले कभी खुद के लिए ज़िंदगी से और देख
ये नज़ारा है कितना हंसी जीले दो पल खुल के ज़िंदगी
जैसे मिले ना ये खूबसूरत पल फिर कभी तो
उठा इन सुंदर फूलों को और सजाले अपनी राहों में
रंग बिरंगे फूलों के संग इस नीले गगन के तले
चल बड़ इन ऊँचे पर्वतों की ओर
खुलने दे तेरे इन सुनहरे पंखों को
और भरले अपने सपनों की उड़ान
ओह री सखी सुन मेरी बात
सुन सुनले री सखी तू मेरी भी बात
क्योंकि मैं हूँ तेरे अन्तर आत्मा की आवाज़
अब तो सुनले सखी तू मेरी ही बात !
लेखिका
"निशा साहू"
कोटा ( राजस्थान )
18/03/2021