कहानीप्रेरणादायक
सही या ग़लत
आरती की जब शादी हुई , रोहन उसका देवर 18 साल का था, आरती को एक अच्छा दोस्त मिल गया था ।
रोहन को आशा से प्यार हुआ तो उसने आरती से ही माँ को मनाने को कहा ।आरती ने माँ को जैसे-तैसे मना लिया ।
और दोनों की शादी करा दी ।
आरती की कोई औलाद नहीं थी, और आशा को ईश्वर ने दो साल मे ही दो औलादें बक्श दी ।आरती आशा के बच्चों को भी बहुत प्यार करती थी ,अपनी ही औलाद की तरह समझती थी उन्हें, लेकिन माँ का व्यवहार अब आरती के साथ बदल गया था।
वो आशा को बहुत प्यार करने लगी और आरती से कटी सी रहने लगी तो आशा ने एक तरकीब लगाई, एक दिन सुबह उठते ही उसने सब परिवार वालों से कहा कि," रात को मुझे सपना आया कि इश्वर ने मुझे कहा कि ये दोनों बच्चे आरती की किस्मत में थे, उसके नसीब से तुझे मिले है तो मैं नहीं चाहती कि मैं किसी के नसीब का कुछ भी लूँ ,इसलिए मैं ये दोनों बच्चे जिसके नसीब के हैं उन्हें सौंपती हूँ "।
ऐसा कह कर उसने दोनों बच्चों को आरती की गोद में डाल दिया , और माँ से कहा माँ," अब तो आप आरती दीदी को ही ज्यादा प्यार करोगे, और मुझे बिलकुल भी नहीं, क्योंकि अब मैं बिन औलाद हो गई हूँ ना" और बड़ी रूआंसी सी होकर बैठ गई।
माँ को अपनी गल्ती का एहसास हुआ कि वो सही नहीं गल्त कर रही थी । इस तरह से वो परिवार गल्त को सही कर के फिर से खुशहाल परिवार बन गया ।
प्रेम बजाज