कवितागजलगीत
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प्राण वायू श्याम है विचार सिर्फ श्याम है
नाम अनेक है मगर आधार सिर्फ श्याम है
श्याम के लिए गये थे धाम देखने लगे
धाम में पहुंच के सारे नाम देखने लगे
दान से हुए हैं क्या वे काम देखने लगे
श्याम को भुला के ताम झाम देखने लगे
भव्यता की भव्यता को भव्य सा प्रणाम है
भव्यता है तुच्छ सब प्रसार सिर्फ श्याम है
नाम अनेक है मगर आधार सिर्फ श्याम है
प्रेम के लिए तो पहले प्रेम का वरण करो
प्रेम की शरण रहो प्रेम को नमन करो
राह प्रेम की पकड़ के पग दो पग चलो कभी
प्रेम चाहिए अगर तो प्रेम का सृजन करो
रूप रंग है हजार भिन्न-भिन्न नाम है
मूल सबका प्रेम है प्रभार सिर्फ श्याम हैं
नाम अनेक है मगर आधार सिर्फ श्याम है