Or
Create Account l Forgot Password?
कविताअन्य
* उड़ान * है सूना नीड़ अँगने का पंछी चल पड़े उड़ान पर समन्दर पार मिले जहाँ दाना पानी अश्रु लिए आँखों में घर में थकी सी आई माँ देव-दीप जलाया उठाया उदास पापा को हर कोने में सन्नाटा चल दिए बच्चे भी अपनी उड़ान पर रह गए दोनों एकाकी चाय कप हाथ लिए सरला