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माँ - Shalini Sharma (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

माँ

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तुम्हारी याद दिल से जाती नहीं
माँ अब तुम नजर कहीं आती नहीं
सूना है आँगन घर का और मेरे मन का
तुम्हारी चूड़ियाँ अब कहीं खनखनाती नहीं.....

याद आता है तेरे आँचल में छिप जाना
याद आता है तेरे हाथों का खाना
बचपन जो बीता तेरे लाड़ में
अब तो सर भी कोई सहलाता नहीं.....

वो बातें अधूरी, जो करनी थी तुमसे
हाल अपना अभी भी सुनाना है तुमको
पर बहुत दूर हो तुम, कैसे पुकारूँ
कोई संदेशा वहाँ तक तो जाता नहीं....

तुम्हारी याद दिल से जाती नहीं
माँ अब तुम नजर कहीं आती नहीं.....

शालिनी शर्मा"स्वर्णिम"

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