कवितागीत
दीवानगी
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तू मेरे दिल में गुंजन बसी है इसतरह से,
फूल में खुशबू हो और मेघ में पानी जैसे।
हुआ मैं बावरा सा हुई तू भी दीवानी,
बिना तेरे बनी ये कयामत ज़िंदगानी।
मेरे दिल की है धड़कन मेरा मनमीत है तू,
सजा होठों पे मेरे प्रेम का गीत है तू ।
खिंची जाती हूँ बरबस तेरी बातों से नीरव,
सुना है बस तुम्हे और हुई खुद से बेगानी।
बिना तेरे बनी ये कयामत ज़िंदगानी
कभी तो रूबरू आ मेरे दिल की तमन्ना,
लिखूँ अपनी कहानी तेरे दिल का हो पन्ना।
जरा तू झाँक दिल में देख मेरी नज़र से,
मैं तेरे मन का राजा तू मेरे मन की रानी।
बिना तेरे बनी ये कयामत ज़िंदगानी
सताए क्यूँ मुझे तू मेरे ख्वाबों में आकर,
झुकी पलकों में रक्खे राज़ मुझसे छुपाकर।
तेरी चंचल अदाओं में है अद्भुत आकर्षण,
दिखाए अक्स तेरा मैं देखूँ जब ये दर्पण।
मेरी दीवानगी का बता तो क्या है मानी
बिना तेरे बनी ये कयामत ज़िंदगानी
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शशिरंजना शर्मा 'गीत'
फरीदाबाद।