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Kajal Ka Badal - Varinderpal kaur babli (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

Kajal Ka Badal

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  • 4 Min Read

काजल का बादल

काजल का काला बादल जब आँखों से बरस जाता है
दुःख सारे दिल के आँखों से बहा ले जाता है
फिर भी आँखों में आने को बेकरार है काजल
आँखों का सिंगार है काजल

नज़र में समा भी जाता है ये काजल
नज़र को उतार भी देता है ये काजल
कजरारी आँखों की बहार ये काजल
आँखों का सिंगार है ये काजल

काले रंग का काला काजल गोरे रंग की शोभा है
क्या जरुरत है सजने की ये अकेला ही तोबा है
काला टीका बनके नज़र का बना पहरेदार है काजल
आँखों का सिंगार है ये काजल

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