कविताअन्य
काजल का बादल
काजल का काला बादल जब आँखों से बरस जाता है
दुःख सारे दिल के आँखों से बहा ले जाता है
फिर भी आँखों में आने को बेकरार है काजल
आँखों का सिंगार है काजल
नज़र में समा भी जाता है ये काजल
नज़र को उतार भी देता है ये काजल
कजरारी आँखों की बहार ये काजल
आँखों का सिंगार है ये काजल
काले रंग का काला काजल गोरे रंग की शोभा है
क्या जरुरत है सजने की ये अकेला ही तोबा है
काला टीका बनके नज़र का बना पहरेदार है काजल
आँखों का सिंगार है ये काजल