कविताछंद
नमन----साहित्य अर्पण एक पहल
आयोजन---चित्राक्षरी प्रतियोगिता
तिथि-------------22/02/2021
वार---------------------सोमवार
विधा-----------------------गीत
मात्राभार----------------16,14
बच्चा एक अकेला
बच्चा घर में एक अकेला,चित्र यही बतलाता है।
मदद न करने वाला कोई,खुद खुद को सहलाता है।।
कथा गरीबी की लिखता हूँ,रोचक बहुत कहानी है।
निलय पुराना टूटा-फूटा,सम्मुख गजब निशानी है।।
फटे पुराने वस्त्र द्वार पर,चित्र यही दिखलाता है।
बच्चा घर में एक अकेला,चित्र यही बतलाता है।।
खड़ी सायकिल एक सामने,रखी बगल में गठरी है।
दीवार पुरानी सम्मुख है,उजड़ी दिखती नगरी है।।
कार्य अनेकों घर में करके,अपना मन बहलाता है।
बच्चा घर में एक अकेला,चित्र यही बतलाता है।।
ताला कुंजी लटक रहा है,खुला हुआ दरवाजा है।
नजर उठाकर देखे जो भी,चित्र सामने ताजा है।।
रँग रोगन भी बहुत पुराना,झर झर नीचे आता है।
बच्चा घर में एक अकेला,चित्र यही बतलाता है।।
भाग्य कोसता अपनी बच्चा,बैठ निलय में रोता है।
भूखा प्यासा रहता हर पल,सदा अकेले सोता है।।
भूख सताये रात जगाये,खुद पर खुद झल्लाता है।
बच्चा घर में एक अकेला,चित्र यही बतलाता है।।
कौन खिलायेगा खाना को,कौन दिखायेगा रस्ता।
कौन सहारा उसका होगा,कौन उठायेगा बस्ता।।
जीवन कैसे पार लगेगा,सोच सोच खल जाता है।
बच्चा घर में एक अकेला,चित्र यही बतलाता है।।
अरविन्द सिंह "वत्स"
प्रतापगढ़
उत्तर प्रदेश