कविताअतुकांत कविता
चाय के बहाने ,,गीत
मौसम ये सुहाना है,
और चाय का बहाना है,
सजना अब कह दे ना
तू मेरा दीवाना है
मौसम,,,,,
अनजाने दो राही
गलियारों में मिलते थे
इन आँखों ही आँखों में
बस गुफ़्तगू करते थे
मौसम,,,,
बारिश की बूँदों में
हम तुम यूँ मिले थे सनम
उस हसीं मुलाक़ात को
इक नाम चलो दे दें
मौसम ,,,,,
तेरे मौन की ये भाषा
मेरे दिल ने सुन ली है
उन भीगे भीगे लम्हों में
ज़िन्दगी को भिगोलें हम
मौसम,,,,,
मेरी डोली सजाई है
माँ बाबा भी हर्षित हैं
मेरी मेहँदी में नाम तेरा
तू सेहरा सजा ले ना
मौसम,,,,,
तुम कार्तिक मेरे हो
अंधियारों में दीपक हो
माँग में तेरी सौम्या की
अब तारे सजादे ना
मौसम,,,,,
सरला मेहता