कविताअतुकांत कविता
वाह वाह क्या बात है
नियति की करामात है
कहीं दिन कहीं रात है
ग्रहों की अपनी पांत है
तारें जवाहिरात हैं
वाह,,,,
नेता जो विख्यात हैं
असल में कुख्यात हैं
ज्यों गधे की लात है
ऐसी ही इनकी बात है
वाह,,,,,
राजनीत की बिछात है
हर पार्टी की जमात है
जात नहीं बदजात है
सच ये खेल वाहियात है
वाह,,,,,
चाहे पक्षपात है
या कोई झंझावात है
सुकून के हालात हैं
भारत हमारी जान है
वाह,,,,,
दुश्मनों की घात है
अपनों से प्रतिघात है
रिश्तों में सन्निपात है
मूल्योकी क्या बिसात है
वाह,,,,,
ऊपर से श्वेत गात है
पर जहरीले दांत हैं
कर्म खुराफ़ात है
ये कैसी मुलाक़ात है
वाह
ना कोई सवालात हैं
बस अपने खयालात हैं
मौन में जज़्बात हैं
सभी को देना मात है
वाह,,,,,
प्रकृति की सौगात है
प्रभुप्रेम की बरसात है
विश्व का सरताज है
तिरंगा हमारी शान है
वाह वाह क्या बात है
सरला मेहता