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सावन की बूंदे - jyoti batra (Sahitya Arpan)

कवितागजल

सावन की बूंदे

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  • 3 Min Read

सावन की बूंदों ने ऐसा जादू ढाया है
मेरे मन में हसरतों को फिर से जगाया है
चलो डूब जाए प्यार के सागर में
रिम झिम बरखा ने गीत गाया है
सावन की .....

कोमल सा ये मन,सुनके बिरहा की धुन
हो गया व्याकुल, देख सावन का मौसम
प्रेम की गलियों ने तुझको बुलाया है
मन मंदिर में अब तो तू ही समाया है
सावन की ......

रुत्त ये सुहानी कहीं बीत ना जाए
भर लो आघोश में हम-तुम हम हो जाए
सुनहरी सी धूप में प्रेम के इन्द्रधनुष ने
मेरे जीवन में नए रंगो को सजाया है
सावन की .....

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