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सपने - Punam Bhatnagar (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

सपने

  • 112
  • 2 Min Read

माना की नई हुई मेरी कोई भी इच्छा पूरी ,
पर हर दिन में एक नया सपना देखती हूँ
सायद कोई मिल जाए, जो मुझे सात समुद्र
पार ले जाय जहा मेरे सपने पूरे हो इस लिए
में रोज सपने देखती हूँ कभी तो पूरे हो मेरे
सपने, बहुत सपने देखती हूँ में

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