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कवितानज़्म
माना की नई हुई मेरी कोई भी इच्छा पूरी , पर हर दिन में एक नया सपना देखती हूँ सायद कोई मिल जाए, जो मुझे सात समुद्र पार ले जाय जहा मेरे सपने पूरे हो इस लिए में रोज सपने देखती हूँ कभी तो पूरे हो मेरे सपने, बहुत सपने देखती हूँ में