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दिलबर साथ निभाना रे - Suman Jain (Sahitya Arpan)

कवितागीत

दिलबर साथ निभाना रे

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चली सावन की फुहार, छा गई है फिर बहार, मचला है मेरा प्यार
दिलबर हरदम साथ निभाना रे...

1.अब तक जो बोल ना पाई,
लो बात जुबां पे है आई
मेरे दिल ने तेरे दिल संग,
आज कर ली है सगाई।
मुझे रखना साथ हरदम, छाए जितना अंधियार
चली सावन की फुहार, छा गई है बहार, मचला है मेरा प्यार
दिलबर हरदम साथ निभाना रे....

2. मन की कोयल अब गाए,
तेरे नाम की धुन सुनाए
मैं तो बन गई बावरिया ,
दिल अब चैन ना पाए।
अब आओ ना तरसाओ, कर लो मुझको स्वीकार
चली सावन की फुहार, छा गई है फिर बहार, मचला है मेरा प्यार
दिलबर हरदम साथ निभाना रे.....

3. तेरा मेरा ये मिलना,
जैसे फूलों का खिलना
दिल के इस चमन में,
प्यार से यूँ महकना।
मन है महका, महका जीवन, महका उठा ये संसार
चली सावन की फुहार, छा गई है फिर बहार, मचला है मेरा प्यार
दिलबर हरदम साथ निभाना रे.....

सुमन जैन
नई दिल्ली

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