Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
कहर कुदरत का - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

कहर कुदरत का

  • 206
  • 4 Min Read

विषय:- ग्लेशियर हादसा
उत्तराखंड
*कहर कुदरत का*

क़ायनात में कुदरत का
करिश्मा बड़ा निराला है
यह शांतमना नियति ने
स्वभाव सर्प सा पाया है
हम ख़ुद ही ग़र इसे छेड़े
अपना कहर बरपाती है
देवभूमि उत्तराखंड क्षेत्र
ऋषिगंगा मैया बहती है
हिमशिला समाए हैं कई
तीर्थधाम है पावन स्थल
निर्माण कई अवैध हुए
भूह्रदय बेंधा बेरहमी से
स्वार्थवश जंगल उजड़े
उष्मा ने पैर पसार दिए
खंडित हो गई हिमशिला
सैलाब जल का बह चला
नेणी ग्राम बना कब्रगाह
मजदूरों की शामत आई
रोटी रोजी पाने के ख़ातिर
ख़ुद की ही बलि चढ़ा बैठे
करता कोई भरता कोई है
हे मानव अब तू चेत ज़रा
जो पालित पोषित करती
उस माँ धरा की रक्षा कर
धानी चूनर ओढा दे अब
ग़लतियों की भरपाई कर
सरला मेहता

logo.jpeg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg