लेखआलेख
विषय :--मौन
शीर्षक :--
**संजीवनी है मौन*
बेमानी है श्रृंखला लंबी शब्दों की
चेहरे पर उभरे भाव धीरे से कह देते
मन के गुबार उद्गार मौन की भाषा में
मुस्काते रिरियाते बच्चे की चाहना
जान लेती माँ तत्काल् भावों से
प्रीतम की चाहतें जान जाती है प्रिया
बिन बोले व बिन जताए शब्दों में
बॉस के तेवर का भेद पल में खुलता
खटर पटर व तनी तनी सी चाल से
लाठी टेकते माँ बाबा ताड़ लेते
बेटे बहु के चालाक मनसूबे भी
ज़हरीले तीर होते कटु वचन किसी के
इससे तो अच्छा है मौन ही धारण करें
अच्छा ना बोल सकें तो बुरा क्यूँ कहे?
मौन है ध्यान तपस्या की प्रथम सीढ़ी
महावीर बुद्ध को ज्ञान का बोध हुआ
विवेकानन्द ने जाना रहस्य जीवन का
क्रोध रोष आवेश पर काबू पाने की
रामबाण संजीवनी होता है यह मौन
सरला मेहता