कवितालयबद्ध कविताअन्य
तुम हो तो मेरी गजल है
तुम हो तो मेरी कविता है
तुम ही तो मेरी शायरी हो
तुम हो तो मेरी भावनाओ
की बहती सरिता है
तुम सबको ही तो मै
लेखनी बना लेता हूँ
जो क्रिया प्रतिक्रिया है तुम्हारी
उसको श्याही बना लेता हूँ
जब पीठ पर छूरा भोकते हो
तो आह लिख देता हूँ
कुछ मधुर सुनाते हो
तो वाह लिख देता हूँ
अपनापन का जब
समन्दर ऊडेलते हो
तो मै प्रसाद की
मिश्री लिख देता हूँ
जब कभी तुम
कुम्हार बन जाते हो
मेरी कमियों से
अवगत मुझे कराते हो
तो तुमको मै
शिल्पकार लिख देता हूँ.
तुम हो तो मेरी गजल है
तुम हो तो मेरी कविता है
तुम ही तो मेरी शायरी हो
तुम हो तो मेरी भावनाओ
की बहती सरिता है
जब कभी तुम
मेरे थके ज़िस्म को
अपनी गोदी मे रख कर
थपकियाँ देती हो
मेरे अन्दर के बेचैनी को
रोलियां सुना कर शांत कर देती हो
तो तुमको मै माँ लिख देता हूँ
और जब कभी मेरी गलतियों पर
मुझको फटकार लगाते हो
क्या सही है क्या गलत
इसका ग्यान करवाते हो
तो तुमको अपने घर का मुखिया
लिख देता हूँ
अपने शब्दो मे तुम्हारा
आशिर्वाद पाकर
तुमको बाबू लिख देता हूँ ...
तुम हो तो मेरी गजल है
तुम हो तो मेरी कविता है
तुम ही तो मेरी शायरी हो
तुम हो तो मेरी भावनाओ
की बहती सरिता है
कभी जब तुम यारी निभाते हो
दिल का मतलब समझ
दिलदारी दिखाते हो
तो तुमको मै यार लिख देता हूँ
और कभी जब
खडे हो जाते हो तुम
कांधे से कांधा मिलाये
हर ख़ुशी य़ा दुख की घडी मे
तो तुमको मै परिवार लिख देता हूँ
तुम हो तो मेरी गजल है
तुम हो तो मेरी कविता है
तुम ही तो मेरी शायरी हो
तुम हो तो मेरी भावनाओ
की बहती सरिता है...
जब कभी तुम मुझको
आईना दिखाते हो
मुझे मेरे होने का अहशास कराते हो
तो तुमको मै खुद का रुप
लिख देता हूँ ..
तुम हो तो मेरी गजल है
तुम हो तो मेरी कविता है
तुम ही तो मेरी शायरी हो
तुम हो तो मेरी भावनाओ
की बहती सरिता है
#गुमशुदा
भाव अच्छे हैं । बड़ी ज्यादा हो गई । शब्दों की पुनरावृत्ति न होती तो छोटी रहती ।
Ok....sujhav ke liye sukriya...aise hi pyar bnaye rakhiye aur khule dil se pratikriya dete rahiye