कविताअतुकांत कविता
*बसंती चोले*
बसंती चोले पहने हैं
क़फ़न माथे पे बांधे हैं
सजे मस्तानें दिलवाले
चली दीवानों की टोली
चल दिए सरहदों पे ये
देश पर जां लुटाने को
करूँ शत शत नमन इनको
मेरे भारत के वीरों को
थाल माँ ने सजाई है
बहन ने पथ सँवारा है
गेंदा गुलनार की लड़ियाँ
बाबा ने लगाई है
पीली चूनर में सजनी भी
उतारे आरती पी की
करूँ शत शत नमन उनको
मेरे भारत के वीरों को
जीत का जश्न भारी है
के घर घर में दीवाली है
सिंदूरी माँग सूनी है
माँ की गोद खाली है
खनकती चूड़ियाँ सिसकी
अजन्मा नन्हा भी रोया
करूँ शत शत नमन उनको
मेरे भारत के वीरों को
सरला मेहता