कविताअतुकांत कविता
*गाड़ी धीरे हाँको*
होल होले चालो नी देवरिया
गाड़ी धीरे हाँको,,,,
अम्बुआ बौराए, कुहके कोयलिया
उलझी जाए, Hटीके की लड़ियाँ
बिखरे ग़जरे की कलियाँ
गाड़ी धीरे हाँको,,,,,
पीली पीली सरसो की, महके हैं कलियाँ
भुजबन्द के लटकन,लाल लाल चूड़ियाँ
उड़े रेशमी फुंदनियाँ
गाड़ी धीरे हाँको,,,,
फूलों से लद गई, नाज़ुक टहनियाँ
नौलखा हार मेरा,करधूनी भारी
नाज़ुक है कमरियाँ
गाड़ी धीरे हाँको,,,
लिपटती जाए ये, बेला चमेलियां
पाँच पसेरी की, मेरी हैं पैजनियाँ
मेहँदी उतर ना जाए
गाड़ी धीरे हाँको,,,,,
जहाँ भी जाऊँ, चले है पुरवइया
उड़ उड़ जाए पीला लहरिया
कैसे घुंगटा सम्भालूँ
गाड़ी धीरे हाँको,,,,
बहके हैं बागों में , भँवरे गुनगुन
पिया जी का कोई, आया न सन्देसवा
कागा बोले अटरियाँ
गाड़ी धीरो हाँको
सरला मेहता