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मुझे कुछ कहना है - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मुझे कुछ कहना है

  • 195
  • 6 Min Read

# चित्राक्षरी प्रतियोगिता
28,1,21

* मुझे कुछ कहना है*

जनम जनम का सदा ही साथ है हमारा तुम्हारा
प्रियतम तुम मेरे, कुछ बोलते क्यूँ नहीं ?
कल तुम्हें जाना है प्रिये सरहद के उस पार
ये आठों प्रहर लिखे दिए हैं आज तुम्हारे नाम
आओ समालूँ तुम्हें अंतर्मन की गहराइयों में
मेरी रग रग का एहसास समा दूँ आज तुम में
और लुटादूँ आज ढेर सारा मेरा प्यार तुम पर
क्यूँ न तुम और में हम हो जाए सदा के लिए
तुम जहाँ जहाँ जाओगे वहाँ मुझे भी पाओगे
दिल से दिल तक की रंगीली राहें होती है
तुम्हारा साया बन तुम्हारे संग इठलाऊँ मैं
ऊँ हुँ, क्यूँ बंद कर ली ये सागर सी आँखें
खोलो न, आतुर है ये प्रेम दीवानी सलिला
मिलकर समा जाने को अपने महासागर में
या निहार लो जी भरकर मुझे आज तुम
उतार कर सँजो लो दिल में मेरी तस्वीर प्रिये
मुझे भी झलक भर दिखा दो एक बार सनम
अपनी गुलाबी सुरूर भरी नशीले नयनों की
खोलो न पलक-पट, पल भर के लिए तो
आओ तुम्हारी साँसों की मदमाती महक
भर लूँ सदा के लिए मेरे तन मन में सजन
गुमसुम क्यूँ हो ? चलें अपने उसी झूले पर
और मैं गाऊँ, "तू मेरा चाँद मैं तेरी चाँदनी"
या चलें कहीं, कश्ती के खामोश सफ़र में
फ़िर तुम कहो,"आज मुझे कुछ कहना है
और मैं कहूँ,"कह भी दो जो कहना है, प्रिये"
सरला मेहता

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Vinay Kumar Gautam

Vinay Kumar Gautam 4 years ago

बेहतरीन

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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